Album Name | Solid Gold – Mukesh Vol 1 |
Artist | Various Artists |
Track Name | Yeh Kaun Chitrakar Hai |
Music | Satish Bhatia |
Label | Saregama |
Release Year | 1948 |
Duration | 04:19 |
Release Date | 1948-12-31 |
Yeh Kaun Chitrakar Hai Lyrics
हरी-हरी वसुंधरा, नीला-नीला ये गगन
नीला-नीला ये गगन
हरी-हरी वसुंधरा पे नीला-नीला ये गगन
कि जिसपे बादलों की पालकी उड़ा रहा पवन
दिशाएँ देखो रंग-भरी…
दिशाएँ देखो रंग-भरी चमक रहीं उमंग-भरी
ये किसने फूल-फूल पे…
ये किसने फूल-फूल पे किया श्रृंगार है?
ये कौन चित्रकार है? ये कौन चित्रकार?
ये कौन चित्रकार है?
(ये कौन चित्रकार है? ये कौन चित्रकार?)
तपस्वियों सी हैं अटल ये पर्वतों की चोटियाँ
ये सर्प सी घुमेरदार, घेरदार घाटियाँ
ध्वजा से ये खड़े हुए…
ध्वजा से ये खड़े हुए हैं वृक्ष देवदार के
गलीचे ये गुलाब के, बग़ीचे ये बहार के
ये किस कवि की कल्पना…
ये किस कवि की कल्पना का चमत्कार है?
ये कौन चित्रकार है? ये कौन चित्रकार?
ये कौन चित्रकार है?
(ये कौन चित्रकार है? ये कौन चित्रकार?)
कुदरत की इस पवित्रता को तुम निहार लो
(हा-हा-हा-हा-हा-हा-हा)
(हा-हा-हा-हा-हा, हा-हा, हा-हा)
इसके गुणों को अपने मन में तुम उतार लो
(हा-हा-हा-हा-हा-हा-हा)
(हा-हा-हा-हा-हा, हा-हा, हा-हा)
चमका लो आज लालिमा…
चमका लो आज लालिमा अपने ललाट की
कण-कण से झाँकती तुम्हें छवि विराट की
अपनी तो आँख एक है…
अपनी तो आँख एक है उसकी हज़ार हैं
ये कौन चित्रकार है? ये कौन चित्रकार?
ये कौन चित्रकार है?
(ये कौन चित्रकार है? ये कौन चित्रकार?)
(ये कौन चित्रकार है? ये कौन चित्रकार?)