Album Name | Chalti Ka Naam Gaadi |
Artist | S. D. Burman |
Track Name | In Haathon Se Sabki Gaadi |
Music | S. D. Burman |
Label | Saregama |
Release Year | 1958 |
Duration | 03:18 |
Release Date | 1958-01-01 |
In Haathon Se Sabki Gaadi Lyrics
ਅਜੀ, ਸੁਣਾਓ ਸਰਦਾਰਾਂ, ਕੀ ਹਾਲ ਐ?
इन हाथों से सब की गाड़ी चल रही है (वाह! वाह!)
इन हाथों से सब की गाड़ी चल रही है (वाह! वाह!)
हाथ ला, उस्ताद, क्यूँ, कैसी कही है? (वाह! वाह!)
हाथ ला, उस्ताद, क्यूँ, कैसी कही है? (वाह! वाह!)
इन हाथों से सब की गाड़ी चल रही है (वाह! वाह!)
वाह! अरे-वाह! अरे-वाह! वाह! वाह! वाह!
एक दिन की है बात, राह में हम जाते थे
गाड़ी बिगड़ी है, लोग ये चिल्लाते थे
एक दिन की है बात, राह में हम जाते थे
गाड़ी बिगड़ी है, लोग ये चिल्लाते थे
जाकर देखा, यार, रोता था दिलीप कुमार
अरे, कम्बख़्त गाड़ी को भी यहीं puncture होना था, hmm? (hahaha!)
हम पहुँचे तो सारी आफ़त टल गई, वाह! वाह!
इन हाथों से सब की गाड़ी चल रही है (वाह! वाह!)
वाह! अरे-वाह! अरे-वाह! वाह! वाह! वाह!
पो-पो motor car जिस घड़ी सन-सन सनके
बोले अपने हाथ राह में horn बनके
पो-पो motor car जिस घड़ी सन-सन सनके
बोले अपने हाथ राह में horn बनके
प्यारे, हट जा ना, नीचे ना कट जाना, प्यारे, हट जा ना
प्यारे, हट जा ना, नीचे ना कट जाना
कितनों की गिरती पगड़ी सँभल गई, वाह! वाह!
इन हाथों से सब की गाड़ी चल रही है (वाह! वाह!)
हाथ ला, उस्ताद, क्यूँ, कैसी कही है? (वाह! वाह!)
इन हाथों से सब की गाड़ी चल रही है (वाह! वाह!)
अरे-वाह! अरे-वाह! अरे-वाह! वाह! वाह! वाह! वाह!
ये रुक जाते तो सारे धंधे रुक जाते (हाय-हाय, हाय-हाय)
घर से दफ़्तर तक सेठ कैसे जा पाते?
ये रुक जाते तो सारे धंधे रुक जाते
घर से दफ़्तर तक सेठ कैसे जा पाते?
सारा कारोबार हो जाता बँटाधार
अरे, म्हारा सारो कारोबार हो गयो रे बँटाधार
यूँ समझो, इनसे ये दुनिया चल गई, वाह! वाह!
इन हाथों से सब की गाड़ी चल रही है (वाह! वाह!)
इन हाथों से सब की गाड़ी चल रही है (वाह! वाह!)
अरे, हाथ ला, उस्ताद, क्यूँ, कैसी कही है? (वाह! वाह!)
इन हाथों से सब की गाड़ी चल रही है (वाह! वाह!)
अरे-वाह! (hahahahahaha!)